भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पोसाळ / मदन गोपाल लढ़ा

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:18, 1 दिसम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मदन गोपाल लढ़ा |संग्रह=म्हारै पांती री चिंतावा…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज



तीस बरस जूनी
भीतां ई
भणी-गुणी है अठै
कान पाकग्या
अ अनार
आ आम री टेर सुणतां
सातवैं सुर में
बारखड़ी रो बालणो
मंतरा सूं होड करै।

आ पोसाळ
कींकर
कम है किणी मिंदर सूं ?