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मोरे पिछवरवा चन्दन गाछ आवरो से चन्दन हो

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मोरे पिछवरवा चन्दन गाछ आवरो से चन्दन हो

रामा सुघर बडइया मारे छेवर लालन जी के पालन हो॥

रामा के गढउ खडउवा लालन जी के पालन हो,

रामा जसुमती ठाडी झुलावै लालन जी के पालन हो॥

झुलहु त लाल झुलाहु अवरो से झुलहु हो

रामा जमुना से जल भरि लाईं त झुलवा झुलाइब हो॥

जमुना पहुच न पावों घडिलवौ ना भरिलिउं हो

रामा पिछ्वा उलति जो मैं चितवुं पहल मुरली बाजल हो॥

रान परोसिन मैया मोरी अवरो बहिन मोरी हो

बहिनि छवहि दिना के भइने लाल त मुरली बजावल हो॥

चुप रहो जसुमति चुप रहो दुस्मन ज नी सुने हो

बहिनी ई हैं के कन्स के मारिहै औ गोकुला बसैहे हो॥