भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

घर में रमती कवितावां 30 / रामस्वरूप किसान

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:32, 7 दिसम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामस्वरूप किसान |संग्रह=आ बैठ बात करां / रामस्व…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


म्हारै घरे
मां है बाबौ है
दादी है दादौ है
काकी है काकौ है
ताई है ताऊ है

म्हैं हूं
म्हारी लुगाई है
म्हारा टाबर है
छोटौ भाई है

अर बां रै
एक बो है
एक बा है
अर टाबर बसै
स्कूल में

फेर ई लोग
घर कवै उण नै
भूल में।