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शून्य शून्य का योग / केदारनाथ अग्रवाल
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निर्धन
निरीह
गर्हित गरीब,
शोषण के मारे सभी लोग,
पुराकाल से
शून्य शून्य का
जोड़ रहे हैं
योग
रचनाकाल: २५-०४-१९७६, मद्रास