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अणूँती ही करड़ी है / कन्हैया लाल सेठिया

अणूँती ही करड़ी है
मूँजी दिन री चिमठी,
फिरबो करसी रोज
सूरज री म्हौर
हाथ में लियाँ,
पण खरचीजै कोनी,
सिंझ्या पड़ै’र
खूंजियै में घाल लै!