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अपना दामन देख कर घबरा गए / नक़्श लायलपुरी


अपना दामन देख कर घबरा गए
ख़ून के छींटे कहाँ तक आ गए
 
भूल थी अपनी किसी क़ातिल को हम
देवता समझे थे धोका का गए
 
हर क़दम पर साथ हैं रुसवाइयां
हम तो अपने आप से शरमा गए
 
हम चले थे उनके आँसू पोंछने
अपनी आँखों में भी आँसू आ गए
 
साथ उनके मेरी दुनिया भी गयी
आह वो दुनिया से मेरी क्या गए
 
'नक़्श' कोई हम भी जाएँ छोड़ कर
जैसे 'मीरो' 'ग़ालिबो' 'सौदा' गए