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अपने कौन, पराये कौन / रामश्याम 'हसीन'

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अपने कौन, पराये कौन
उसको ये बतलाये कौन

समझाने से समझेगा
पर उसको समझाये कौन

गूँगी-बहरी दुनिया में
सुनता कौन, सुनाये कौन

मन माया में क्यों उलझा?
ये उलझन सुलझाये कौन

धरती कब से प्यासी है
बादल को बरसाये कौन