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अलबत्ता / सुधीर सक्सेना
Kavita Kosh से
आपने प्रेम किया
तो भी मरेंगे
और नहीं किया
तो भी मरेंगे एक रोज़
प्रेम से मौत खारिज़ नहीम होती
मौत का एक दिन मुअइय्यन है
प्रेम से नहीं बदलती मौत की तारीख़
अलबत्ता प्रेम से बदल जाती है ज़िन्दगी
आमूलचूल ।