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आँख के गहरे पानी में / नील कमल
Kavita Kosh से
इतने ख़्वाब कहाँ जाते हैं आँख के गहरे पानी में,
उतराती और डूबती साँसे आँख के गहरे पानी में ।
उसके लहू का खारापन और उसकी अश्कों के मोती,
सागर भी बौना लगता है आँख के गहरे पानी में ।
आज मिला तो उसने अपना हाल कहा दो लफ़्ज़ों में,
जीवन का लेखा-जोखा है आँख के गहरे पानी में ।
मेरा बीता कल और अपना आने वाला कल देखो,
हर तसवीर नज़र आएगी आँख के गहरे पानी में ।
राहों में मुश्किल आएगी सोच के उसने समझाया,
सपनों की तैराओ नैया आँख के गहरे पानी में ।
ममता की मीठी यादें और बचपन के नमकीन ख़याल,
बाबा के मज़बूत इरादे आँख के गहरे पानी में ।