आओ-आओ हे सखी देखण चालैं / दयाचंद मायना
आओ-आओ हे सखी देखण चालैं, हक मांगण आला आरा सै
पब्लिक की भीड़ चौंक म्हं, एक गीत भिखारी गारहा सै...टेक
जोरा जिसका गोरा बहना, भैंस बलाई लाठे की
सार हमेशा पिटा करै सै, जोड़ा और जुग पाटे की
मिल, फैक्ट्री बहुत चलैं सैं, शर्मा, बिरला, टाटे की
इन गरीबां म्हं घुसी गरीबी, दुगणी चौगणी घाटे की
एक हाथ म्हं झोली आटे की, एक हाथ बीच इकतारा सै
गरीबां की मांग चुका दो, न्यू राष्ट्र को ललकारा सै...
एक तरफ दो ध्यान बुगला भोली-भोली सूरत का
हामनै पता चालग्या सेठो थारी चाल जम्हूरत का
हाँ-हाँ करकै वक्त टालगे, सारा टैक जरूरत का
पढ़ो विधान खोलकै पन्ना, म्हारी लग्न महूरत का
अम्बेडकर की मूरत का, काऊंसिल की ओर इशारा सै
राजी-राजी दे द्यो याड़ै, आधे का हक हमारा सै...
भारत के सरताज मंत्री, नेहरू जी प्रधान हुए
लाल बहादुर शास्त्री भी काफी बुद्धिमान हुए
गांधी और पटेल यहाँ के, बोम्बे के चौहान हुए
इन गरीबां की ओर आज तक नहीं किसी के ध्यान हुए
ये रो-रो कै किलकान हुए, भूख्यां नै वक्त गुजारा सै
हमनै बेरा पाटग्या सेठो, यो बेईमाना थारा सै...
नगरी-नगरी द्वारे-द्वारे घूम रहा गलियारे म्हं
मांगण आला राग बणा कै फेर दिया जग सारे म्हं
इसा आदमी मुस्किल पैदा होगा देश हमारे म्हं
खोलो आंख गरीबों, दुनियां जा ली चांद सितारे म्हं
जो मरै कौम के बारे म्हं तन मन से कष्ट उठा रहा सै
ओरां का के बेरा मनै, लागै ‘दयाचन्द’ प्यारा सै...