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आगमन / शलभ श्रीराम सिंह
Kavita Kosh से
देहरी पर पाँव...
हँसी होंठो पर ...
मन आँखों में उतर आया ...
उँगलियों में प्राण ...
साँस में सर्वस्व ...
आगमन ऐसा सुख
प्रभु के आगमन से पृथक कहाँ है
मनुष्य के घर में
रचनाकाल : 1991, विदिशा