बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
आजुल उपासे होंय धिया के चरनन कों
आजी उपासे होंय धिया के चरनन कों
बाबुल उपासे होंय बेटी के चरनन कों,
मैया उपासं होय बेटी के कन्यादान लैवें कों।
काकुल उपासी होंय बेटी के चरनन कों,
काकी उपासी होंय बेटी के कन्यादान लेवें कों।
मामा उपासे होंय बेटी के चरनन कों,
मायीं उपासीं होंय बेटी के कन्यादान लैवें कों।