भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आणंद / दुष्यन्त जोशी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चिड़ी री बोली
चिड़ी रा बचिया जाणै

अर
बचियां री बोली
जाणै चिड़ी

कांई ठाह
कांईं बात करै
कांईं कैवै
पण
मायड़ भासा रौ आणंद
निरवाळौ हुवै।