भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आदमक़द स्त्री / लीलाधर मंडलोई

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

इतनी बार गिरी
इतने आघात

इतनी बार हारी
इतनी चोटें

इतनी बार मृत्यु
इतने जीवन

हर बार वह उठ खड़ी हुई
एक नई स्त्री में

वह निराला की आदमक़द स्त्री