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आदमखोर लोकतंत्र / कुमार मंगलम
Kavita Kosh से
जो बड़ा हो रहा था
बढ़ रहा था
वह लोकतंत्र था
वह पहले भीड़ में बदला
फिर शोर में
और फिर हत्याओं में
वह आदमकद था
और देस लघुमानव
फिर वह आदमकद
आदमखोर में तब्दील हो गया
इस तरह लोकतंत्र
आदमखोर लोकतंत्र में प्रतिष्ठित हुआ ।