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आयें दिन / केदारनाथ अग्रवाल

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आयें दिन
जैसे भी आयें,
लायें दुख जैसे भी लायें।

वे सब मेरे पाहुन होंगे,
मैं उनका सत्कार करूँगा,
नवाचार से
उनका-अपना
लोकमुखी उद्धार करूँगा।

रचनाकाल: ०६-०७-१९७९