भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
इक मुलाक़ात मुख़्तसर होगी / संजू शब्दिता
Kavita Kosh से
इक मुलाक़ात मुख़्तसर होगी
हाँ मगर रूह तक खबर होगी
हम ही हम होंगे उन नज़ारों में
आपकी जिस तरफ नज़र होगी
रात को यों ही बीत जाने दो
ख़्वाब देखेंगे जब सहर होगी
कुछ दिनों से तलाश में हैं हम
ढूंढते हैं ख़ुशी किधर होगी
मिन्नतें जो अधूरी रहती हैं
उन दुआओं में कुछ कसर होगी
आज भी रखते हैं खबर उसकी
जानते हैं वो बेख़बर होगी
ज़िन्दगी आ तुझे जी भर जी लूँ
तू कहाँ साथ उम्र भर होगी