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इज़्ज़तपुरम्-58 / डी. एम. मिश्र

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कहाँ जाये
अब मैना?

डराओ
धमकाओ
निकालो
तो भी फुदककर
फिर घुसती
उसी पिंजरे में

परों में
अब जान कहाँ
उडती पातों में
शामिल हो
फिर वापस लौटे
नीड में अतीत के