इस मौसम का सबसे ठंडा दिन है आज,
रात कटेगी कैसे चिन्ता यही लगी है,
अगिहानों में आग नहीं, घाम भगी है
दहशत खाकर, आसमान पर बादल राज,
कुहरे ने कर लिया नियंत्रण ऊर्जा के हर
संस्थान पर, ख़ून नसों में जमता जाता,
इस बस्ती में दूर-दूर तक कोई आता
नज़र नहीं है, जिसके पास आग हो अमर,
उजाला करती तिमिरशीत से मुक्ति दिलाती,
ढेर राख में ढूंढ रहे सब चिंगारी मिल
जाए, गीली लकड़ियाँ भी सुलगेंगी, स्वप्निल
आँखों में चमकेगी आस-किरण, जलाती
अगिहानों को, सर्द लहर से करती जंग
दूर खड़े ठंडक व्यापारी ताकें दंग !