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उड़ान / शशि सहगल
Kavita Kosh से
मैंने छलाँग लगाई
चाँद छूने के लिए
पर वहाँ तो
पहले से ही
कोई झंडा गाड़ आया था।
उधर मंगल को देखा
ताका-झाँका सभी ग्रहों को
लौट के पाया
पैरों तले ज़मीन ही नहीं है।