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उम्मीद / वाल्टर सेवेज लैण्डोर / अनिल जनविजय
Kavita Kosh से
तुम मुस्कुराए, तुम बोले, और मैंने विश्वास किया,
पर हर शब्द और मुस्कान से तुमने धोखा दिया ।
कोई आदमी तुमसे अब कोई उम्मीद नहीं करेगा;
जैसी मैंने की थी तुमसे, अब उम्मीद से वह डरेगा :
पर अब मेरी इस अन्तिम उम्मीद को पूरा कर दो;
धोखा दो तुम मुझे एक बार, ज़रा फिर से धोखा दो !
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय
लीजिए, अब यही कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए
Walter Savage Landor
You smiled, you spoke, and I believed,
By every word and smile deceived.
Another man would hope no more;
Nor hope I what I hoped before:
But let not this last wish be vain;
Deceive, deceive me once again!