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एक पूरी सृष्टि हूँ मैं / निदा नवाज़
Kavita Kosh से
कुछ कभी नहीं है
सब कुछ है अब
पास मेरे
मेरे भीतर की पूरी
सृष्टि में सब कुछ सिमटा
दु:खों के पहाड़
शंकाओं के जंगल
आशाओं के दिए
अधखिले फूल
भावनाओं की नदियाँ
आंसुओं की वर्षा
अब आवश्यकता थी
तुन्हारे संग की
तुम्हारी कुछ स्म्रतियों के रूप में
और तुम्हारा यह संग
तुम्हारी स्मृतियाँ
हर पग पर
मेरा साथ देती हैं
मेरे साथ होती हैं
एक मधुर जीवन-संगनी की तरह।