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एक शक्ल / प्रताप सहगल
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हरियाली के बीचों बीच मरना
अनाम हादसों से न डरना
कभी आकाश पर थूकना
तो कभी ज़मीन पर रोना
दुनिया की तसवीर में
उगे हुए आदमी की
एक शक्ल यह भी है।