मिलना
फिर मिलना
जीभर कर मिलना
ऐसे ही होता है
जैसे किसी अजनबी में
अपनी सी
मासूमियत टटोलना
और
फिर
जीभर कर
उस क्षण को
महसूस करना
संजोकर रखना
अपनी मधुर स्मृति में
और
स्मृति
हमेशा
वही सुख देती है
जैसे पहली मुलाकात
की
वो सरगोशी
वो लम्हा
वो पल
जो आपको हमेशा
तरोताजा किये रखते हैं