ओस बिन्दु का मिलन
(शिव के अद्वैत सिंद्वांत का चित्रण)
घुल जाऊँगा मैं
ज्योत्सना में लधु जुगनू सा
टपक पडूंगा
ओस बिन्दु सा किसी गगन का
उषा हास में मिल जाऊँगा
मैं दीपक सा
पिधल पडूंगा शुचि चरणों में
सावन धन सा
छिप जाऊँगा मैं सपना बन
किसी नयन का
टपक पडूंगा
ओस बिन्दु सा किसी गगन का
(ओस बिन्दु का मिलन कविता का अंश)