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औघड़ / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
कोनी बगत रै
आँख
पण फिरै रूळतो
पकड्यां
डीकरी पून री आंगळी
दुऐ
धरती रै गोवणिंयैं में
रात री भैंस रो दूध दिन
सेकै
तारां री भोभर में
चांद री बाटी
धरै आभै री थाळ में
सूरज री इडली
छमकै समदर रो
सलूणो रायतो
गिटै गासियां सागै
आखी जीवा जूण
ईं सिंग्याहीण नै
भोळो मिनख कवै हूण ?