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औघड़ की काली कमली ओढ़ / अमित कल्ला

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किसी
औघड़ की
काली कमली ओढ़
अपनी ही देह में
अंतरध्यान हो

पल- पल
कैसा सहारा देती है

मौन
के उस
सुरमई
संतुलन को
करवट - करवट ।