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कटती रही रात / शलभ श्रीराम सिंह
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बार-बार तुम पर आया क्रोध
बार-बार आया प्यार तुम पर
नहीं आई तो केवल नींद
क्रोध और प्यार की रस्साकशी में
कटती चली गयी रात
हजार-हजार टुकड़ों में
टुकड़ों में लाख-लाख
कटती रही रात
आता रहा तुम पर क्रोध
प्यार आता रहा तुम पर बार-बार
रचनाकाल : 1992 अयोध्या