भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कम्प्यूटर / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मन को करता है मतवाला ।
कम्प्यूटर है बहुत निराला ।।

यह तो एक अनिवार्य भाग है ।
कम्प्यूटर का यह दिमाग है ।।

चलते इससे हैं प्रोग्राम ।
सी०पी०यू०है इसका नाम ।।

गतिविधियाँ सब दिखलाता है ।
यह मॉनीटर कहलाता है ।।

सुन्दर रंग हैं न्यारे-न्यारे ।
आँखों को लगते हैं प्यारे ।।

इसमें कुंजी बहुत समाई ।
टाइप इनसे करना भाई ।।

सोच-सोच कर बटन दबाना ।
हिन्दी-इंग्लिश लिखते जाना ।।

यह चूहा है सिर्फ़ नाम का ।
माउस होता बहुत काम का ।।

यह कमाण्ड का ऑडीटर है ।
इसके वश में कम्प्यूटर है ।।

कविता लेख लिखो जी भर के ।
तुरन्त छाप लो इस प्रिण्टर से ।।

नवयुग का कहलाता ट्यूटर ।
बहुत काम का है कम्प्यूटर ।।