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कहेंगे धन्यवाद / संजीव बख़्शी
Kavita Kosh से
मई की तपती शाम
ठंडे पानी से
पत्तियों को पोंछते हुए
सोचता हूँ—
इसकी चर्चा जड़ों तक ज़रूर होगी
कहेंगे धन्यवाद कुछ इस तरह
कि खिलेंगे पीले फूल कुछ और
आएगी ख़ुशबू कुछ और