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कहोगे बात तो हटकर मिलेगी / अवधेश्वर प्रसाद सिंह

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कहोगे बात तो हटकर मिलेगी।
करोगे प्यार तो सटकर मिलेगी।।

भले ही काम में दिनभर रहेगी।
ढलेगी शाम तो हँसकर मिलेगी।।

करेगी रोज किच-किच शाम तक ही।
चढ़ेगी रात तो मुड़कर मिलेगी।।

मुसीबत आ खड़ी होगी वहाँ पर।
दिलों की बात दो कहकर मिलेगी।।

बँधी है गाँठ नखरों से हजारों।
नदी की धार-सी बहकर मिलेगी।।

निभाना है तुझे वादा किया तो।
वही वह रात में लेकर मिलेगी।।