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कामवालियों का गीत / पवन करण

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खाती हैं मैडम कीं दिन रात गालियाँ
हम कामवालियाँ हम कामवालियाँ

बीमार हमरा पड़ना मैडम को है सताए
छुटटी पे हमरा रहना मैडम को न सुहाए

गुस्से में हमसे कहतीं कामचोर सालियाँ
हम कामवालियाँ हम कामवालियाँ

आखिर श्रम हमारा किसी को कभी न भाए
कोर्इ कमी निकाले कोर्इ हमें सिखाए

साहब की हैं निगाहें कालीं-कालियाँ
हम कामवालियाँ हम कामवालियाँ

कोर्इ हमें हमारे घर में भी आकर देखे
हम जाके कब हैं सोते सोके कब हैं उठते

अपने घरों की नइयें हम घरवालियाँ
हम कामवालियाँ हम कामवालियाँ