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कितना कम जानता हूँ मैं / ब्रजेश कृष्ण
Kavita Kosh से
मुझे नहीं आती रफू़गिरी
मैं नहीं बना सकता कमीज़ के काज
जूतों की मरम्मत करना तो
नामुमकिन है मेरे लिए
माली मुझसे बहुत ज्यादा जानता है
फूलों के बारे में
जिन्हें मैं कहता हूँ
छोटे-छोटे काम
वे कितने बड़े हैं मेरे लिए!
ऐसे हज़ारों काम हैं दुनियाँ में
जिन्हें मैं करना नहीं जानता
यहाँ तक कि मैं
देखना भी नहीं जानता
सिर्फ देखना
सालिम अली की आँख से
चिड़िया को देखना