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किसी एक के नाम / एम० के० मधु
Kavita Kosh से
मेरी आँखों में
तैरते हैं शब्द
तुम्हारे लिए
पढ़ सको तो पढ़ लो
मेरी साँसों पर
बजता है संगीत
तुम्हारे लिए
सुन सको तो सुन लो
स्पंदित हैं मेरे ओंठ
तुम्हारे लिए
छू सको तो छू लो
तुम्हारे लिए
मेरी बाँहें
बढ़ चुकी हैं
बाँध सको तो बाँध लो
एक संपूर्ण भाव
उठ रहा है हृदय में
तुम्हारे लिए
ले सको तो ले लो
बहती नदी, चंचल झरना
घुमक्कड़ राही, औघड़ मन
समझ सको तो समझ लो
प्यार का पहर है
कारवाँ गुज़र न जाए
रोक सको तो रोक लो ।