क्या गजब रंग है आत्मविश्वास का / मृदुला झा

क्या गजब रंग है आत्म विश्वास का,
‘‘लौट आया समय हर्ष उल्लास का।’’

आ गई जब मिलन की मधुर यामिनी,
क्यों दिखाते रहे दृश्य संत्रास का।

राह काँटे भरे हैं हमें डर नहीं,
है भरोसा सदा लक्ष्य के न्यास का।

सच रहेगा हमेशा सुपूजित यहाँ,
है जरुरत इसे सिर्फ एहसास का।

काम की बात हर पल करें सब यहाँ,
ध्यान रखते नहीं प्यार की प्यास का।

हो रहा है असर आज मधुमास का,
आ गया है समय हास-परिहास का।

यूँ न रूठा करो तुम कभी भी ‘मृदुला’,
दौर चलने दो तुम सिर्फ अभ्यास का।

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