भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
क्षमा याचना / तोताबाला ठाकुर / अम्बर रंजना पाण्डेय
Kavita Kosh से
जो कह न सकी उसके लिए क्षमा और जो कहा
उसके लिए भी क्षमा
स्त्री की कोई कथा नहीं होती
केवल दृष्टान्त होता है तब उस दृष्टान्त के लिया क्षमा
और क्षमा कि यन्त्रणा केवल सहकर मैं चली नहीं गई
उसे कहने के दुस्साहस के लिए क्षमा
जिस प्रसव में जन्म लिया और जिन प्रसवों में जन्म दिया
सबके लिए क्षमा
असंख्य पुरुषों स्त्रियों से अतीव अनुराग के लिए क्षमा ।