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खोते जाना है / नंदकिशोर आचार्य

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खोजना
पाने की ख़ातिर नहीं होता
भटकना
मंज़िल की ख़ातिर नहीं जैसे

ख़ुद को खोते जाना है
मेरा खोजते जाना
भटक जाना
मंज़िल का पुनर्नवा होना

जितना भटकता हूँ
पाता जाता हूँ तुम्हें
जितना पाता हूँ
              ख़ुद को
खोता जाता हूँ उतना ।

28 अप्रैल 2009