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गाँव अब शहर हो गया / कुँअर रवीन्द्र
Kavita Kosh से
मेरा गाँव अब शहर हो गया है
शहर हो गया है जंगल
शहरों में होती हैं मशीने
और जंगल में होते हैं जानवर
आदमी न तो शहरों में होते हैं
न ही जंगलों में
जंगलों में रहने वाले आदिवासी
न तो आदमी होते हैं
न ही जानवर
वे सिर्फ़ होते हैं "वोट"