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गीतावली अरण्यकाण्ड पद 1 से 5/पृष्ठ 3
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मारीच-वध
.रागसोरठ
बैठे हैं राम-लषन अरु सीता |
पञ्चबटी बर परनकुटी तर, कहैं कछु कथा पुनीता ||
कपट-कुरङ्ग कनकमनिमय लखि प्रियसों कहति हँसि बाला |
पाए पालिबे जोग मञ्जु मृग, मारेहु मञ्जुल छाला ||
प्रिया-बचन सुनि बिहँसि प्रेमबस गवहिं चाप-सर लीन्हें |
चल्यो भाजि, फिरि फिरि चितवत मुनिमख-रखवारे चीन्हें ||
सोहति मधुर मनोहर मूरति हेम-हरिनके पाछे |
धावनि, नवनि, बिलोकनि, बिथकनि बसै तुलसी उर आछे ||