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गीतावली उत्तरकाण्ड पद 11 से 20 तक/पृष्ठ 14

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दीपमालिका

राग आसावरी
साँझ समय रघुबीर-पुरीकी सोभा आजु बनी |
ललित दीपमालिका बिलोकहिं हित करि अवधधनी ||

फटिक-भीत-सिखरन-पर राजति कञ्चन-दीप-अनी |
जनु अहिनाथ मिलन आयो मनि-सोभित सहसफनी ||

प्रति मन्दिर कलसनिपर भ्राजहिं मनिगन दुति अपनी |
मानहुँ प्रगटि बिपुल लोहितपुर पठै दिये अवनी ||

घर घर मङ्गलचार एकरस हरषित रङ्क-गनी |
तुलसिदास कल कीरति गावहिं, जो कलिमल-समनी ||