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गौरैये / भास्कर चौधुरी
Kavita Kosh से
वे
न तो
ढोल पीटते हैं
न रचते हैं
प्रेम पर असंख्य कविताएँ
वे तो बस
प्रेम करते हैं
प्रेम करते रहते हैं...