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घड़ी ढूँढकर लाए कौन? / कन्हैयालाल मत्त
Kavita Kosh से
घंटाघर की चार घड़ी,
एक दिखाई नहीं पड़ी!
भुल्लू भाई यों बोले-
'हम तो सारे दिन डोले,
जब देखा, तब तीन रहीं,
एक घड़ी खो गई कहीं!'
दादा बोले- 'रुको जरा,
है इसमें कुछ भेद भरा!
तुमने यह बात जो कही,
लगती उतनी नहीं सही।
मगर, तुम्हें समझाए कौन?
घड़ी ढूँढ़कर लाए कौन?'