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चलता है इस तरह (3) / हरीश बी० शर्मा

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एक दिन उसने बताया
उसे किसी से कुछ हो गया
समाचार मिले
तब तक न जाने क्या-क्या हो गया
कहना चाहता था
कंधा उचकाकर-कोई नहीं
कह नहीं पाया
दकियानूसी जो नहीं था
कि भूचाल आ जाता
धरती फटी
न भूचाल आया
चाहथा था मैं भी बताऊं
कुछ होने की बात
कुछ भी ऐसा-वैसा याद नहीं आया।