चाँदनी इस तरह रो गयी
नभ के तारे सभी धो गयी
हाथ की मोतियों की लड़ी
टूट कर ओस है हो गयी
तेल की आखिरी बूँद भी
चुक गयी रौशनी खो गयी
रात इतनी थकी भोर की
गोद में रख के सर सो गयी
सिंधु में यों पिघल कर घुली
साँझ जैसे नदी हो गयी
चाँदनी इस तरह रो गयी
नभ के तारे सभी धो गयी
हाथ की मोतियों की लड़ी
टूट कर ओस है हो गयी
तेल की आखिरी बूँद भी
चुक गयी रौशनी खो गयी
रात इतनी थकी भोर की
गोद में रख के सर सो गयी
सिंधु में यों पिघल कर घुली
साँझ जैसे नदी हो गयी