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चुप की देह / पारुल पुखराज
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					कुतरने की आवाज़ नहीं 
रेंगने की सिहरन से भरी 
रात 
चुप के सहारे 
कट जाती 
चुप की देह 
चींटियों से 
अटी
	
	