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छलावा / समझदार किसिम के लोग / लालित्य ललित
Kavita Kosh से
पल-पल पर छलावा
दिग्भ्रमित होता आदमी
कब तब बचेगा
इस मायावी दुनिया से
ऑफिस में
बाजार में
मॉल में
संबंधों में
छलावा दर छलावा
घिर चुका है आदमी
घिर चुकी है औरत
आपसी छलावे का
शिकार
वार पर वार जारी है
बचना
अब मुश्किल है