(राग मालकोस-ताल शूल)
जय जय शंकर शूल-डमरुधर, जटा-जूटधर याली।
जय कैञ्लास-निवासी त्रिनयन, जय रुद्राक्ष-सुमाली॥
जय गौरी जगजननि पार्वती, जयति दुरित-दुखहारी।
जय गणपति मूषकवाहन, जय विघ्रहरण सुखकारी।
(राग मालकोस-ताल शूल)
जय जय शंकर शूल-डमरुधर, जटा-जूटधर याली।
जय कैञ्लास-निवासी त्रिनयन, जय रुद्राक्ष-सुमाली॥
जय गौरी जगजननि पार्वती, जयति दुरित-दुखहारी।
जय गणपति मूषकवाहन, जय विघ्रहरण सुखकारी।