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जवाब / वंदना मिश्रा

तुम्हारे तीरों के जवाब में
फेकना था एक तीखा भाला
तुम्हारी तरफ

मैंने गुस्से में खोला
अपना शस्त्रागार

पर वहाँ सिर्फ
आँसू, फूल और दुआएँ थी
वही दे पाई तुम्हें