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जाड़े में बरसात-2 / भारत यायावर

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यह मौसम है या बसूला

जो छीलता ही जा रहा है

लोगों को

अन्दर की गर्मी

भाप बनकर आती है बाहर

बीड़ी के धुँए की तरह


सुबह से लगातार

भींग रही है सड़क

हरी राम सड़क का भाई है

जिसके रिक्शे पर बैठने की ज़िद्द

करते हैं लोग

उसकी

भींगती दशा पर

देखो तो

मौसम भी

हँसता ही जाता है


---जानै हि हरि

ई कदमा नाम कैसे पड़ लौ

ई गाँव में

कादो ही कादो

से कादो से कदमा


---अरे भाय

ठेल तो ज़रा !

ई साली कादो


ऎ हरी राम

गाँव में रहोगे

और कीचड़ से डरोगे ?


हरी राम

मौसम से जैसे

जूझती है सड़क

वैसे ही लड़ता है तू

सड़क फिर भी

कहाँ डरती है ?


तू भी

मत डर हरी राम

मौसम के बसूले से भी

तेज़ धार

तेरे जीवन में है

जिसे तेरे साथ रहकर

पा रहा हूँ मैं

कष्ट सहकर भी

गाँवों में मुस्कराना

सीख रहा हूँ मैं