Last modified on 20 अगस्त 2009, at 13:16

जीवन का अर्थ / विश्वनाथप्रसाद तिवारी

अर्थ नहीं था वह
यै होता
तो आज न लगता
व्यर्थ

फिर क्या था वह
मिथ्या या कि भ्रम
अहंकार या कि आत्मछल
क्या था वह?

मेरे आत्मन्‌
तलाशता रहा जिसे
जो नहीं मिला जीवन भर
क्या था वह?

क्या व्यर्थ में ही नहीं था
जीवन का अर्थ?